जीव-जंतुओं (1)

नमस्कार, आदाब, और शत्श्रीअकाल. मैं पेड़ दादा एक बार फिर पेड़ - पौधों की हरी भरी दुनिया में आप सभी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता हूँ. जनता हूँ की आप सभी मेरे परिवार के बारे में और भी अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं और एक मैं हूँ, जो आपसे मिलने में इतना अधिक समय लगाता हूँ. परन्तु क्या करूँ दोस्तों मेरा भी परिवार है और मुझे भी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है. आखिर मैं घर का बुजुर्ग जो ठहरा. और आप सभी लोग भी तो इन सब बातों को जानते होंगे. इसलिए मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है की इस बार फिर से आप सभी मुझे क्षमा कर दें.

मैं जानता हूँ की आप सभी मुझसे इतना प्रेम करते हैं की आप लोग मुझे माफ़ कर चुके होंगे, तो चलिए अब हम अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हूँ. पिछले भाग में आपने जाना की किस प्रकार से हमारे परिवार का प्रत्येक सदस्य वातावरण को साफ़ एवं स्वच्छ रखने में अपनी-अपनी भूमिका निभाता है. इस भाग में हम जानेंगे एक बार फिर खास और सबसे आवश्यक बातें जो वातावरण में कुछ ख़ास चीजों के संतुलन को बनाये रखती हैं, और वो है पोषक तत्त्व और कुछ जरूरी गैसें, जो न केवल जीव-जंतुओं अपितु पेड़-पौधों के लिए भी अत्यंत ही आवश्यक होते हैं. इन पोषक तत्वों और जरूरी गैसों का संतुलन प्रकृति में विद्यमान सभी अवयवों के माध्यम से होता है, परन्तु इसमें भी हमारे परिवार के प्रत्येक सदस्य का अपना अलग-अलग योगदान रहता है.

यह तो हम सभी जान ही गए हैं कि प्रकृति में रहने वाले सभी सजीव प्राणियों को पोषक तत्वों कि आवश्यकता होती है. और यह सभी पोषक तत्त्व रासायनिक तत्वों और अणुओं से मिलकर बने होते हैं और इन सभी तत्वों का चक्रण सुचारू रूप से होना हमारे पर्यावरण के संतुलन के लिए आवश्यक है. क्या आप जानते हैं कि प्रकृति में इन सभी तत्वों और गैसों का चक्रण लगातार होता रहता है? जी हाँ, इन सभी पोषक तत्वों का प्रकृति में लगातार चक्रण होता रहता है. पोषक तत्वों और गैसों के इन चक्रों को जैव-भू रासायनिक चक्र या बायोजियोकेमिकल साइकल कहते हैं.

अब भला ये बायोजियोकेमिकल साइकल कौन सी बला है. आइये इस शब्द को जरा ध्यान से समझते हैं. यदि हम बायोजियोकेमिकल साइकल शब्द को देखें तो हम पाते हैं कि यह इन शब्दों से मिलकर बना है:

बायो: जीवन, जिसमे पेड़-पौधे और जीव-जंतु सब सम्मिलित हैं,
जियो: भू/धरा/पृथ्वी,
केमिकल: रासायनिक तत्व एवं
साइकल: चक्रण.

इस प्रकार से बायोजियोकेमिकल साइकल शब्द पेड़-पौधों व जीव-जंतुओं, पृथ्वी एवं इनके मध्य के रासायनिक जुड़ावों को बताता है.

एक और बात प्रकृति में संतुलन बनाये रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है की इन रासायनिक खनिज पदार्थों का चक्रण लगातार, बिना रुके होता रहे. जानते हैं इन पदार्थों का चक्रण कैसे होता है? आइये बताता हूँ.... सबसे पहले खनिज पदार्थ मृदा अर्थात मिटटी के द्वारा जीवित कारको यानि की पेड़-पौधों में प्रवेश करते हैं और इन पेड़-पौधों के माध्यम से ये खनिज पदार्थ खाद्य श्रीन्खला के माध्यम से जंतुओं में प्रवेश करते हैं. इसके पश्चात जब ये पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की मृत्यु हो जाती है तो इनके सड़ने और गलने के पश्चात ये खनिज पदार्थ पुनः मिटटी एवं वातावरण में मिल जाते हैं.

एक और बात ये पोषक तत्व पौधों अर्थात हमारे परिवार के प्रत्येक सदस्य की वृद्धि एवं विकास के लिए भी बहुत अवश्यक होते हैं, इनमे से प्रमुख ६ तत्त्व जिनका चक्रण अत्यंत आवश्यक है वो हैं: कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटासियम. तो देखा आपने की इन सभी पोषक तत्वों के चक्रण में भी हमारा योगदान रहता है. और हो भी क्यों न क्योंकि ये तत्त्व हमारे लिए और आप सभी के लिए अत्यंत आवश्यक जो होते हैं.

अब तो आप सभी समझ ही गए होंगे की हम हरे भरे बेजान से दिखने वाले पेड़-पौधों की ये जमात आप सभी लोगों के कितने काम की वस्तु हैं. अरे जनाब आगे ऐसे ही कई जानकारियों से आपको मैं अवगत कराऊंगा, बस आप सभी लोग इसी प्रकार से मेरा और मेरे परिवार का देखभाल करते रहे. आगे के भागों में आप जानेंगे की हम सब किस प्रकार से मानव जाती द्वारा विकसित धर्मों और संस्कृतियों में से समाहित हैं.

तो ऐसी अनेकों जानकारियों के लिए जुड़े रहिये मेरे अर्थात पेड़ दादा के साथ. और पढ़ते रहिये प्रकृति मित्र ब्लॉग. तब तक के लिए गुड बाई. अपना और अपने पेड़ पौधों का ख्याल रखें धन्यवाद.

आपका अपना:

पेड़ दादा

प्रस्तोता: आशुतोष कुमार द्विवेदी “आशु”

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