आप सभी लोग प्रातः कालीन भ्रमण पर अवश्य जाते होंगे वहां पर कई वर्षों से बिना किसी स्वार्थ के अनेकों भरे पेड़-पौधों को देखा होगा।
पेड़-पौधे!!! आखिर क्या होते हैं पेड़-पौधे? कभी आपने सोचा की ये पेड़-पौधे हमारे आस-पास क्यों हैं? आखिर हमारे लिए इनका क्या महत्व है? आज इसके बारे में हम नहीं पेड़ दादा आपको बताएंगे. आइये उन्ही से सुनते हैं.
ब्लॉग पढने वाले सभी लोगों को मेरा प्यार भरा नमस्कार! मैं पेड़ दादा आप सभी लोगों को अपने परिवार के बारे में तथा हमारे परिवार से जुडी महत्ताओं के बारे में आप सब को अवगत करने आया हूँ। क्या आप जानते हैं की हमारे वंश का उद्भव प्राणिमात्र के जीवन से भी कई वर्षों पहले हो चुका था? जी हाँ हमारा उद्भव कार्बनिक युग में हुआ था। जानते हैं उस युग में हमारे पूर्वजों को वैज्ञानिकों ने फर्न, होर्सेटेल तथा लायकोफईट इत्यादि नाम दिया। इसके बाद युग आया त्रैअसिक, जिसमे कोनिफर, गिंगो, सएकेड एवं अन्य अनावृत्बीजी पौधों जैसे हमारे पूर्वजों का विकास हुआ। और जानते हैं इसके बाद हमारे अन्य भाई बंधुओं जैसे पुष्पीय एवं अव्रित्बिजी पौधों का उद्भव एवं विकास हुआ।
ये तो रही हमारे उद्भव एवं विकास की कहानी, अब सुनते हैं आगे। हमारे उद्भव के बाद वैज्ञानिकों ने हमें काफी विचार विमर्श के बाद पर्यावरण के सजीव घटकों के अंतर्गत पादप जगत की श्रेणी में रख दिया। इस प्रकार से हम पादप जगत के वंश में शामिल हुए। हमारे कई प्रकार हैं जैसे वृक्ष, शाक, झाडी, घास, फर्न, मोस, हरित शैवाल इत्यादि। आप सब तो जानते ही होंगे की हमारे परिवार में सदस्यों की संख्या काफी अधिक है, इतनी अधिक की हमारे सदस्यों की संख्या का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक आज तक शोध कर रहे हैं। अभी तक के अध्ययनों से पता चला है की वर्तमान में संपूर्ण पृथ्वी पर लगभग 3,26,175 पादपो की प्रजातियां विद्यमान हैं। संख्यावार हमारे भाई-बंधुओं की कुल संख्या इस प्रकार है:
पुष्पीय पौधे: 258,650
अनावारित्बीजी पौधे: 980
फर्न एवं होर्सेटेल: 13,025
मोस: 15,000
लाल एवं हरित शैवाल: 9671
लाइकेन: 10,000
मशरूम: 16,000
भूरे शैवाल: 2849
इस प्रकार से वर्तमान में पृथ्वी जैसे ग्रह पर विद्यमान हो कर इसकी शोभा बढ़ाते हैं।
आइये अब मैं आपको हमारी शारीरिक संरचना के बारे में थोडा सा ज्ञान वर्धन कराते हैं। मैं तो बहुत बूढा हो चूका हूँ इसलिए मैं अपने जवान बेटे के बारे में आपलोगों को बताना चाहूँगा। अगर उसकी शारीरिक रचना के बारे में बताऊँ तो उसका संपूर्ण शरीर जड़, तना, शाखाओं, टहनियों, व पत्तियों से मिलाकर बना हैं। वैज्ञानिकों ने मेरे परिवार के लोगों की औसत लम्बाई लगभग 0.5 मीटर से 6 मीटर तक आंकी है।
ये तो आप सब जानते ही होंगे की हम सब पृथ्वी के प्राकृतिक भू-दृश्य का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण भाग हैं। कैसे? यह तो आप सब जानते ही होंगे! अगर नहीं जानते हैं तो मैं आपको बिना बताये अभी नहीं जाने वाला!! तो सुनिए हमारे परिवार का हर एक सदस्य आपलोगों यानि मनुष्य जीवन के साथ-साथ पर रहने वाले सभी जीव प्रजातियों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। अगर सच तो हम सब एवं हमारे परिवार के बीच पाई जाने वाली विविधताओं का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव आप सभी जीवधारियों पर पड़ता है।
हम जीवधारियों को न केवल भोजन उपलब्ध कराते हैं, बल्कि अन्य जैव प्रजातियों को आवास जिसे वैज्ञानिक भाषा में "पर्यावास" भी कहते है, उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा हमारे परिवार का प्रत्येक सदस्य जहाँ एक ओर प्राणदायिनी गैस ऑक्सीजन को वायुमंडल में छोड़ते हैं वही दूसरी ओर कार्बन डाई औक्सैड जहरीली गैस को अवाशोसित कर के वातावरण को शुद्ध रखने में भी मदद करते हैं। इसके साथ ही साथ हम मानव जीवन की संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था से भी जुड़े हुए हैं। कैसे? ये सब जानने के लिए के लिए यूं ही पढ़ते रहिये "प्रकृति मित्र" ब्लॉग!!
तब तक के लिए धन्यवाद!!
अलविदा दोस्तों.....
आपका पेड़ दादा
प्रस्तोता: आशुतोष कुमार द्विवेदी "आशु"
Comments
thanks for valuable information
Thanks for imformation,such me hum log nature se pyar karte he lekin uske bare me bahot kam jante he ya janane ki koshish karate hai, thanks for such vital information...
Vary Nice...
You must continue with such blog.
Great ...
Bahut sundar