भारतीय पर्यावरण प्रेमियों के लिये अपूरणीय क्षति।आई आई टी के पूर्व प्रोफेसर, केर्न्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व सदस्य सचिव, देश के अग्रगण्य पर्यावरण विशेषज्ञ वैज्ञानिक/अभियंता श्री जी डी अग्रवाल गंगा की निर्मलता व अविरलता के मुद्दे पर लगातार कई महीनो से अनशन पर बैठे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का निधन हो गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश को स्वामी सानंद अपना शरीर दान कर गए हैं। स्वामी सांनद ने मंगलवार को जल भी त्याग दिया था। स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद 22 जून से गंगा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर अनशनरत थे। सादर श्रद्धांजली।
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Comments
इसमे कोई विवाद नही है कि एक मरती हुई नदी मरने को अग्रेसर सभ्यता की सूचक होती है पर गंगा जी की वर्तमान दुर्दशा की दोषी सभी पूर्ववर्ती सरकारें ही रहीं है जिसके चलते पूर्व मे हरिद्वार मे स्वामी निगमानंद और काशी मे स्वामी गोकुलानंद अपनी देहाहुति दे चुके हैं। वर्तमान केन्द्र व राज्य सरकार भी अपेक्षित तेजी से निर्णय न लेनेसे स्वामी सानंद की बलि की दोषी है।हुतात्मा स्वामी सानंद के बलिदान पर राजनिती न हो अपितु सारे पर्यावरण संरक्षण प्रेमी और निति निर्माता घटक उनके अविरलता और निर्मलता के स्वप्न को वास्तविकता के धरातल पर लाने के सच्चे प्रयत्न करें।यहीँ दिवंगत पर्यावरण वादी सन्यासी स्वामी सानंद के प्रति सम्यक श्रद्धांजली होगी।